
आठ साल बाद खुला नई नवेली दुल्हन की साजिश का राज
सुनील वर्मा
कहते है कि पुलिस के हाथ बहुत लंबे होते है,
कातिल कितना भी चालाक हो, एक दिन पुलिस के हाथ कातिल की गर्दन तक पहुंच ही जाते
हैं। लेकिन हत्या की इस दिल दहलाने वाली वारदात में कातिल ने ऐसी ही साजिश रची थी
कि पुलिस उसके झूठ और बुने हुए जाल में इस कदर उलझ गई कि कातिल की गर्दन तक पुलिस
के हाथ पहुंचने में आठ साल का लंबा वक्त गुजर गया। अपराध अन्वेषण की इस कहानी को
समझने के लिए इस कहानी को हम शुरू से बताते हैं जिसमें कातिल ने कदम-कदम पर पुलिस
को ऐसे गच्चे दिए कि पुलिस बेबस होकर रह गई।
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जयभगवान तथा उनकी पत्नी |
बाहरी दिल्ली के समालखा में रहने वाले जयभगवान प्राईवेट नौकरी करते थे। उनके दो ही बेटे थे। बडा बेटा रवि और छोटा डैनी। दसंवी कक्षा तक पढे रवि ने 18 साल की उम्र में पिता का सहारा बनने के लिए ग्रामीण सेवा वाले आटो को चलाना शुरू कर दिया था। तीन साल बाद माता पिता का आज्ञाकारी बेटे की शादी की चिंता सताने लगी। समालखा की इन्द्रा कालोनी में रहने वाला शेरसिंह जय भगवान की ही बिरादरी का था। शेर सिेह की पत्नी कमलेश राजस्थान के अलवर जिले के टपूकडा की रहने वाली है। उसने अपनी साली शकुंतला का रिश्ता रवि से करने की सलाह दी थी। जिसके बाद दोनों पक्षों में बातचीत शुरू हुई कई दौर की बातचीत के बाद रवि का शेर सिंह की साली शकुंतला से रिश्ता पक्का हो गया। शकुंतला के पिता पतराम और मां भगवती के छह बच्चे थे। तीन लडके और तीन लडकी। सबसे बड़ी लडकी कमलेश की शादी शेरसिंह से हुई थी। सबसे बड़े दो भाई थे। दूसरे नंबर की बेटी की शादी भी तिजारा गांव में एक अच्छे परिवार में हो चुकी थी। जबकि सबसे छोटी लडकी शकुंतला थी और उससे छोटा एक और लडका था जिसका नाम था राजू।
लेकिन उस रात भी शकुंतला के थकी होंने के कारण रवि की मुराद पूरी नहीं हो सकी। अगली सुबह शकुंतला ने घर में पहली रसोई बनाकर पूरे परिवार को खाना खिलाया जिसके बाद जय भगवान अपनी नौकरी के लिए चले गए थे। दोपहर को शकुंतला अपने पति रवि को साथ लेकर इन्द्रानगर में रहने वाली बडी बहन कमलेश से मिलने के लिए उसके घर चली गई। लेकिन शाम के 7 बजे तक जब बेटा और बहू लौटे तो जय भगवान ने बेटे रवि के मोबाइल पर फोन मिलाया। फोन स्विच ऑफ था। जयभगवान छोटे बेटे को लेकर रवि के साढू शेर सिंह घर पहुंचे तो शकुंतला ने बताया कि रवि को रास्ते ग्रामीण सेवा चलाने वाले कुछ दोस्त मिल गए थे। रवि उसे घर के पास छोडकर ये कहकर चल गया था कि कुछ ही देर में वापस लौट आएगा। लेकिन उसके बाद से ही वह वापस नहीं लौटा है। जय भगवान शकुंतला को उसकी बहन के घर से अपने साथ घरले आए । लेकिन पूरी रात बीत जाने पर भी रवि घर नहीं आया ।
अगली सुबह 23 मार्च 2011
को जयभगवान ने कापसहेड़ा थाने में अपने बेटे की गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज करा दी।
रवि के लापता होंने की
जानकारी मिलने के बाद अगले दिन शकुंतला के परिवार वाले भी अपने पडोसी कमल सिंगला को
लेकर हमदर्दी जताने के लिए जय भगवान के घर पहुंचे। उन सबने भी जय भगवान के साथ
मिलकर रवि की तलाश में इधर उधर भागदौड की। दस दिन बाद मायके वाले शकुंतला को अपने
साथ ले गए।
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रवि |
इसी तरह वक्त तेजी से गुजरने लगा। कापसहेडा पुलिस ने लापता लोगों की तलाश के लिए की जाने वाली हर कार्रवाई की। परिवार वालों ने जिस पर भी रवि के लापता होंने के पीछे शक जताया उन सभी को बुलाकर पूछताछ की गई। मगर कोई सुराग नहीं मिला। बेटे का सुराग नहीं मिलता देख जय भगवान ने उच्चाधिकारियों से भी मुलाकात की फिर भी कोई फायदा नहीं हुआ। लिहाजा उन्होंने अदालत का दरवाजा खटखटाते हुए दिल्ली हाईकोर्ट में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर की। जिस पर दिल्ली पुलिस को कारण बताओं नोटिस जारी कर दिया गया। नोटिस जारी होते ही दिल्ली पुलिस के उच्चाधिकारियों के कान ख्ड़े हुए और इसी के आधार पर पीडित जयभगवान की शिकायत पर 16 अप्रैल 2011 को रवि की गुमशुदगी के मामले को कापसहेडा पुलिस ने अज्ञात लोगों के खिलाफ अपराध संख्या 64/11 पर अपहरण की धारा 365 के अर्न्तगत पंजीकृत कर लिया।
जय भगवान से पूछा गया तो
उन्होंने पुलिस के सामने शंका जाहिर की कि उन्हें शंकुतला के भाई राजू और उनके
पडोसी कमल सिंगला पर शक है। वे कोई ठोस कारण तोनहीं बता सके लेकिन उन्होंने बताया
कि शादी होंने से पहले कमल ही शंकुतला के परिवार के साथ हर बार उनके घर आया जबकि
वो उनका रिश्तेदार भी नहीं है। हांलाकि पुलिस के पास कोई पुख्ता आधार नहीं था
लेकिन इसके बावजूद उन दोनों को बुलाकर पूछताछ की गई मगर ऐसी कोई संदिग्ध बात पता
नहीं चल सकी जिसके आधार पर उनसे कड़ाई की जाती।
पुलिस ने शकुंतला, उसकी
बहन कमलेश, पति शेर सिंह और भाई राजू के साथ कमल सिंगला के अलावा भी अलवर जाकर कुछ
लोगों से पूछताछ की लेकिन कोई सुराग पुलिस के हाथ नहीं लगा।
पुलिस को आशंका थी कि कहीं रवि की शादी उसके परिवार ने बिना उसकी मर्जी के की हो
इसलिए वह पत्नी को छोडकर खुद कहीं चला गया हो। इस बिन्दू पर भी जांच पडताल हुई
लेकिन पुलिस को कोई सिरा नहीं मिला।
रवि के पिता ने कमल सिंगला नाम के जिस युवक पर आरोप लगाया गया था वो उस समय 19 साल
का भी नहीं हुआ था इसलिए पुलिस उसके साथ सख्ती से भी पूछताछ भी नहीं कर सकती थी।
वैसे भी ऐसा कोई आधार पुलिस को नहीं मिल रहा था कि वह रवि का अपहरण या हत्या क्यों
करेगा। ये भी पता चला था कि वारदात वाले दिन कमल अलवर में ही था। रही बात राजू के
इस वारदात में शामिल होंने की तो वह भला अपनी ही बहन के पति का अपहरण क्यों करेगा
जिसकी शादी एक महीना पहले ही हुई है। वैसे भी उनके खिलाफ न तो कोई साक्ष्य मिल
रहा था न ही रवि के हत्या के पीछे पुलिस को कोई आधार दिख रहा था।
पुलिस को साफ लग रहा था
कि रवि की लाइफ में ऐसा कुछ जरूर है जिसे परिवार वाले छिपा रहे है और उसके लापता
होंने का ठीकरा उसकी पत्नी व दूसरे लोगों के उपर फोड रहे हैं।
पुलिस को लगा कि या तो
शादी से पहले रवि का किसी दूसरी लडकी से संबध था या उसका अपने पेशे से जुड़े
ग्रामीण सेवा के किसी ड्राइवर से पुरान विवाद था और शायद इसी वजह से उसकी हत्या
कर दी गई हो। कापसहेडा पुलिस ने उस इलाके ग्रामीण सेवा चलाने वाले कई ड्राइवरों और
रवि के टैंपो के मालिक से भी कई बार
पूछताछ की। उसके चरित्र अैर दुश्मनी के बारे मेंभी जानकारी हासिल की गई
लेकिन कहीं से भी ऐसा कोई सुराग हाथ नहीं लगा कि जांच को आगे बढाने का रास्ता
मिलता।
इस दौरान हाईकोर्ट में
सिंतबर 2011 में पुलिस को अपनी जांच की स्टेटस रिपोर्ट देनी थी तो उसमें कोई
प्रगति ने पाकर हाईकोर्ट ने दिल्ली पुलिस आयुक्त को इस मामलें की जांच एक सक्षम
एजेंसी को सौंपने के लिए कहा।
अदालत का आदेश आने के बाद
पुलिस आयुक्त ने अक्टूबर 2011 में रवि के अपहरण की जांच का जिम्मा एंटी
किडनैपिंग शाखा के सुपुर्द कर दिया। उन दिनों एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट को
एंटी किडनैपिंग यूनिट के नाम से जाना जाता था। इस मामलें की जांच का काम सबसे पहले
इस यूनिट में काम करने वाले सब इंसपेक्टर हरिवंश को सौंपा गया। फाइल हाथ में लेने
के बाद उन्होंने इसका गहन अध्ययन किया और उसके बाद नए सिसे सभी संदिग्धों को
बुलाकर उनसे पूछताछ का काम शुरू किया। इस काम में दो महीने का वक्त गुजर गया।
इससे पहले की वे जांच को आगे बढाते अपराध शाखा से उनका तबादला हो गया।
इसके बाद जांच का काम
एसआई रजनीकांत को सौंपा गया। रजनी कांत को लगा कि कमल सिंगला जैसे एक अमीर इंसान
की एक निम्न मध्यम वर्गीय परिवार से ऐसी घनिष्ठता के पीछे कोई वजह तो जरूर
होगी। उन्हें रवि के पिता जय भगवान के आरोपों में कुछ सच्चाई दिखी। अभी तक की
पूछताछ में हर अधिकारी के सामने इस मामलें के तीन मुख्य संदिग्ध कमल सिंगला,
शकुंतला उसका भाई राजू एक ही कहानी सुना रहे थे। अगर वे झूठ बोल रहे थे तो सच्चाई
बाहर लाने का अब एक ही रस्तो बचा था कि उनका लाई डिटेक्टर टेस्ट करा लिया जाए।
वैसे भी रजनीकांत को लगा कि इस मामलें में शकुंतला और कमल की मिलीभगत की संभावना
ज्यादा हो सकती है। इसलिए तीनों संदिग्धों से लंबी पूछताछ के बाद रजनीकांत ने
अदालत से आदेश लेकर 2 मार्च 2012 को शकुंतला, उसके भाई राजू और कमल का पॉलीग्राफ
टेस्ट कराया। लेकिन पॉलीग्राफ परीक्षण की रिपोर्ट आने के बाद जांच अधिकारी
रजनीकांत की उम्मीदों पर पानी फिर गया क्योंकि तीनों ही संदिग्ध परीक्षण में
खरे उतरे थे। लेकिन ना जाने क्यों रजनीकांत इन नतीजों से संतुष्ट नहीं थे। लेकिन
उन्होंने उम्मीद नहीं छोडी और दूसरे पहलुओं का टटोलते हुए जांच का आगे बढाते
रहे।
रवि के परिवार की तरफ से शकुंतला
और उसके परिवार पर आरोप लगाए जाने के बाद उन्होंने जय भगवान के घर आना भी बंद कर
दिया। संयोग से जांच अधिकारी रजनीकांत का तबादला हुआ तो उसके बाद सब इंसपेक्टर
सूरजभान आए, कुछ महीनों के बाद उनका भी तबादला हो गया तो सब इंसपेक्टर धीरज के
हाथ में जांच आई, कुछ महीनों तक जांच उनके हाथ में रही फिर उनके तबादले के बाद
एसआई पलविन्द्र को जांच का काम सौप गया। फिर 2017 के शुरू होते ही उनका भी तबादला
हो गया। इसके बाद जांच की जिम्मेदारी मिली सब इंसपेक्टर जोगेन्द्र सिंह को।
इस दौरान मार्च 2017 में इस केस की स्टेटस रिपोर्ट देखकर हाईकोर्ट ने पुलिस को निर्देश दिया कि तीनों संदिग्धों की ब्रेनमैपिंग (नार्को टेस्ट) कराया जाए। एसआई जोगेन्द्र ऐसे ही किसी मौके का इंतजार कर रहे थे। उन्होंने तीनों के इस टेस्ट की प्रक्रिया शुरू कर दी। अदालत में तीनों आरोपियों को पेश कर जोगेन्द्र सिंह ने ब्रेनमैपिंग के लिए उनकी हामी भी हासिल कर ली। जिसके बाद तीनों का दो नवंबर 2017 से छह नवंबर 2017 के बीच गुजरात के गांधी नगर में ब्रेन मैपिंग टेस्ट कराया। लेकिन वहां जाकर कमल और राजू ने तो टेस्ट करा लिया लेकिन शकुंतला ने तबियत बिगडने की बात कहकर ब्रेन मैपिंग कराने से इंकार कर दिया।
लेकिन बेन मैंपिग के जो परिणाम पुलिस के सामने आए उसने जोगेन्द्र सिंह को सोचने
पर मजबूर कर दिया। हालांकि राजू ब्रेन मैपिंग टेस्ट में सत्य पाया गया। लेकिन
ऐसे कई सवाल थे जिन पर कमल सिंगला पर अब इस मामलें में शामिल होनें का शक शुरू हो
गया। सब इंसपेक्टर जोगेन्द्र सिंह समझ गए कि इस जांच को आगे ले जाने के लिए उन्हें
अलवर में डेरा डालना पडेगा।
वे आगे की कार्रवाई कर ही रहे थे कि मार्च 2018 में अचानक उनका भी तबादला हो गय। जोगेन्द्र सिंह की जांच से कम से कम अनुसंधान का काम एक कदम आगे तो बढ गया था और जांच के लिए एक टारगेट भी तय हो गया था। इसी बीच जांच के नए अधिकारी के रूप में सब इंसपेक्टर करमवीर मलिक को रवि के अपहरण केस की फाइल सौंपी गई। उन्होने जांच का काम हाथ मे लेते ही पहले पूरी फाइल का अध्ययन किया और केस की बारीकियों को गौर से समझने के बाद अपने दो सबसे खास एएसआई जयवीर और नरेश के साथ कांस्टेबल हरेन्द्र की टीम बनाई और उन्हें उन तीनों संदिग्धों को लाने के लिए अलवर रवाना किया जिनका नाम बार बार इस केस में सामने आ रहा था। जयवीर और नरेश जब अलवर के टपूकडा गए तो वहां संयोग से उन्हें राजू तो मिल गया। राजू ने पूछताछ में जो कुछ बताया उसकेबबाद एक अलग ही कहानी सामने आयी। पता चला कि ब्रेन मैपिंग टेस्ट होंने के बाद जब शकुंतला और कमल गुजरात से वापस लौटे तो कुछ रोज बाद ही अचानक शकुंतला घर से भाग गई।
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शकुंतला |
पिछले कुछ समय से कमल जिस
तरह शकुंतला के करीब आ रहा था और शकुंतला भी ज्यादा वक्त उसके ही साथ बिताने लगी
थी उसे देखकर परिवार वालों को लगा कि शकुंतला के भागने में कमल का ही तो हाथ नहीं।
इसीलिए उन्होंने कमल से शकुंतला के बारे में पूछा। लेकिन वो साफ मुकर गया कि उसे शकुंतला
के बारे में कोई जानकारी नहीं है। लिहाजा परिवार वालों ने कमल सिंगला के खिलाफ शकुंतला
के अपहरण की रिपोर्ट दर्ज करवा दी। लेकिन कमल पुलिस के हाथ आने से पहले ही फरार हो
गया। पुलिस कमल को तलाश ही कर रही थी कि इसी बीच कमल के एक ड्राइवर बबली ने राजस्थान
हाईकोर्ट में एक शपथ पत्र दिया कि उसने शकुंतला से शादी कर ली है और पुलिस बिना
वजह उसके मालिक को परेशान कर रही है। बबली ने साथ में आर्य समाज मंदिर में हुई शकुंतला
से अपनी शादी का प्रमाण पत्र भी दिया था उसी के साथ में शकुंतला की तरफ से भी एक
शपथ पत्र संलग्न था जिसमें उसने बबली से शादी करने की बात की पुष्टि की थी। हाईकोर्ट
ने अलवर पुलिस को कमल के खिलाफ दर्ज अपहरण के मामले को खत्म करने का आदेश दे दिया।
जिसके बाद उसके खिलाफ एफआईआर रद्द हो गई।
शकुंतला के भाई राजू ने
जो कुछ बताया था उसे जानने के बाद एएसआई जयवीर की मामले में दिलचस्पी कुछ ज्याद
ही बढ गई। कमल से मिलने की उनकी बेताबी बढ गई। लेकिन इससे पहले बबली से मिलना
जरूरी था। क्योंकि उसने शकुंतला से शादी की थी जिस कारण अब संदेह के दायरे में
सबसे पहले वहीं आ रहा था। पुलिस टीम ने टपूकडा थाने जाकर जब कमल के खिलाफ दर्ज हुई
एफआईआर के बारे में जानकारी हासिल की तो उस केस की फाइल में बबली नाम के उसके
ड्राइवर के घर का पता मिल गया। एएसआई जयवीर ने बबली के घर का पता हासिल किया ओर
उसके गांव बाघोर पहुंच गई।
बबली के घर उसके माता
पिता के अलवा पत्नी और तीन बच्चे भी मिले। बबली की पत्नी से मिलने के बाद तो
एएसआई जयवीर का सिर ही चकरा गया। क्योंकि उसकी पत्नी शंकुतला नहीं बल्कि कोई अन्य
महिला थी और वो भी तीन बच्चों की मां। कहानी में अब दिलचस्प मोड आ गया था। पुलिस
टीम ने जब परिजनों से बबली के बारे में पूछा तो पता चला कि लूटपाट के एक मामलें
में बबली कोटा जेल में बंद है। अब तो बबली से मिलना पुलिस के लिए बेहद जरूरी हो
गया था।
जयवीर और नरेश ने परिजनों
से बबली के बारे में तमाम जानकारी लेकर कोटा की अदालत में उससे जेल में मुलाकात
करके पूछताछ करने की अनमति मांगी। पुलिस टीम को पूछताछ की इजाजत मिल गई और जयवीर
सिंह अपनी टीम के साथ कोटा जेल में जब बबली से मिले तो रवि के अपहरण केस की तस्वीर
पूरी तरह साफ हो गई।
बबली ने बताया कि वह तो
पहले से ही शादी शुदा है। उसके तीन बच्चे भी है। वह डेढ साल से कमल सिंगला के पास
ड्राइवर की नौकरी कर रहा है। कुछ माह पहले अचानक जब शकुंतला के घर से भागने के बाद
उसके परिजनों ने कमल के खिलाफ शकुंतला के अपहरण की रिपोर्ट दर्ज कराई तो अचानक कमल
ने बबली को कुछ रूपए देकर दबाव डाला कि वह हाईकोर्ट में एक शपथ पत्र दाखिल कर दें
कि उसने शकुंतला से शादी कर ली है। बबली ने खुलासा किया कि वकील कराने से लेकर
शकुंतला का शपथ पत्र और शकुंतला से उसकी शादी का आर्य समाज मंदिर का प्रमाण पत्र
कमल ने ही उसे उपलब्ध कराया था। चूंकि वह नौकरी और पैसे के लालच में मजबूर था
इसलिए उसने कमल के कहने पर ये काम कर दिया था। इसी के कारण उसके खिलाफ दर्ज मामला
खत्म हो गया था।
पुलिस जिस कमल को मासूम
मान रही थी उसका शातिर चेहरा सामने आ चुका था। पुलिस को यकीन हो गया कि रवि के
अपहरण और उसकी हत्या में भी कमल का ही हाथ होगा।
एएसआई जयवीर की टीम
बार-बार अलवर में कमल सिंगला और शकुंतला
की तलाश करने के लिए जाती लेकिन उन दोनों का कोई सुराग नहीं मिल रहा था। क्राइम
ब्रांच की टीम में एक कांस्टेबल हरेन्द्र संयोग से राजस्थान का ही रहने वाला था।
उसकी मदद से पुलिस टीम को स्थानीय स्तर पर ऐसे लोगों की मदद मिलने लगी जिससे कमल
व शकुंतला के बारे छन छनकर जानकारियां
सामने आने लगी थी। लेकिन इस पूरी कवायद में कई महीने गुजर गए।
इसी बीच क्राइम ब्रांच
में एडीशनल कमिशनर का दायित्व संभालने वाले बी के सिंह ने जब अपराध शाखा की लंबित
जांचो की सूची देखी तो उन्होंने एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट के एसीपी सुरेन्द्र
गुलिया को बुलाकर जल्द से जल्द रवि अपहरण केस का अनावरण कर आरोपियों को गिरफ्तार
करने का आदेश दिया। एसीपी गुलिया ने रवि के अपहरण की जांच करने वाले इंसपेक्टर
अमलेश्वर राय और एसआई करमवीर सिंह,
एएसआई जयवीरसिंह, एएसआई नरेश कुमार तथा कास्टेबल हरेन्द्र जांच में तेजी लाने के लिए कहा।
इस बीच एसआई कर्मवीर मलिक की टीम ने अलवर में कमल सिंगला के मोबाइल नंबर हासिल कर
लिए। इसके बाद इन नंबरों को मोनिटरिंग पर लगाकर इनकी सीडीआर निकालकर खंगालने का
काम शुरू हो गया। चूंकि अब पूरी तरह से इस
बात की पुष्टि हो गई थी कि रवि के अपहरण में उसकी भूमिका संदिग्ध है। इसलिए पहले
पुलिस ने उसके खिलाफ गिरफतारी वारंट जारी कराया। इसके बाद उसे भगौडा घोषित किया
गया और फिर उसके उपर 50 हजार का ईनाम दिल्ली पुलिस ने घोषित कर दिया।
इसी दौरान पुलिस ने उसके घर की कुर्की के वारट भी जरी करवा लिए। पुलिस की एक टीम
ने स्थायी रूप से अलवर में ही डेरा डाल दिया। मोबाइल की लोकेशन और उससे बात करने
वाले हर शख्स की जानकारी अलवर में बैठी पुलिस टीम को मिल रही थी। लेकिन इसे संयोग
कहे या कमल की किस्मत कि पुलिस टीम के पहुंचने से पहले ही वह मौजूद जगह से निकल
जाता था।
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सब इंसपेक्टर करमवीर मलिक |
लेकिन पुलिस जब किसी को पकडने की ठान लेती है तो देर से ही सही चालाक अपराधी भी पुलिस के चंगुल में फंस ही जाता है। आखिरकार बीते 27 सितम्बर 2019 को कमल सिंगला (27) को अलवर की शालीमार कॉलोनी से गिरफ्तार कर लिया गया। यहां भी उसका एक घर था जहां वे छिपकर रह रहा था। हांलाकि शकुंतला उसके साथ नहीं थी। लेकिन उसका पकडा जाना भी पुलिस के लिए बडी उपलब्धि थी। दिल्ली लाकर जब पुलिस टीम ने उसे पूछताछ शुरू की तो वह हमेशा की तरह पुलिस को अपने झूठ के जाल में उलझाने की कोशिश करता रहा। लेकिन इस बार जांच दल के पास उसके खिलाफ ब्रेनमैपिंग टेस्ट की रिपोर्ट से लेकर बबली से अदालत में शकुंतला की शादी से जुडा शपथपत्र दिलाने जैसे कई ठोस सबूत मौजूद थे जिनका उसके पास कोई उत्तर नहीं था। पुलिस टीम ने थोडी सख्ती का इस्तेमाल किया तो कमल सिंगला सब कुछ तोते की तरह बताने लगा। पूछताछ में पता चला कि रवि का अपहरण कर उसकी हत्या कर दी गई थी और इस काम में उसकी मदद उसके ड्राइवर गणेश महतो ने की थी। गणेश को उसने 2012 में ही नैकरी से हटा दिया था जिसके बाद वह बिहार चला गया।
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एएसआई जयवीरसिंह, एएसआई नरेश कुमार |
रवि कुमार केस की जांच
जितनी रोमांचक है उसके अपहरण व हत्या की कहानी उससे कहीं ज्यादा चौकाने वाली है।
जिससे पता चलता है कि प्रेम में अंधा एक आशिक किस तरह शातिर अपराधी की तरह न सिर्फ
अपने गुनाह को अंजाम देता रहा बल्कि आठ साल तक चली जांच में पुलिस की आंखो में भी
धूल झौंकी।
2010 में टपूकडा में रहने
वाली शकुंतला अचानक कमल सिंगला के संपर्क में आयी थी। कमल का ट्रांसपोर्ट और
बिल्डिंग मैटिरियल सप्लाई करने और ट्रांसपोर्ट का कारोबार था। उसके कुछ ट्रक,
टैक्सियां और मैटाडोर भी किराए पर चलते थे। इसके अलावा कमल प्लाट लेकर उनमें
फ्लैट बनाकर बेचने का भी काम करता रहता था। साल 2010 में कमल ने शकुंतला के पड़ोस
में एक एक खाली प्लाट लेकर उसमें फ्लैट निर्माण का काम कराया तो इसी दौरान बगल के
मकान में रहने वाली शकुंतला पर उसकी नजर पड़ी। कमल उन दिनों ठीक से बालिग भी नहीं
हुआ था जबकि तीखे नाक नख्श अैर गदराए बदन वाली शकुंतला जवानी की दहलीज पर पहले ही
कदम रख चुकी थी।
यहीं पर दोंनो की एक
दूसरे से आंख लडी और कमल ने किसी तरह शंकुतला के घर में आना जाना शुरू कर दिया
दोनों का इश्क परवान चढने लगा और नाजायज रिश्ते बन गए। जबकि परिवार बेटी की इस
करतूत से अंजान था।
इसी बीच 8 फरवरी 2011 परिवार ने शकुंतला की शादी समालखा के रवि से करा दी। कमल को जब शकुंतला के रिश्ते की भनक लगी तो उसने शकुंतला से इसका विरोध किया। उस पर दबाव बनाया कि वह अपने परिवार वालों से इस रिश्ते के लिए मन कर दे। लेकिन लोकलाज और माता पिता के डर से शकुंतला ऐसा न कर सकी । इसी असमंजस में उसके हाथ में किसी ओर के नाम की मेहंदी लग गई।
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एसीपी सुरेन्द्र गुलिया |
लेकिन कमल सिंगला ने तय
कर लिया कि वह शकुंतला को किसी ओर की होने नहीं देगा। उसके मन में एक साजिश पलने
लगी। इसी साजिश के तहत रवि को देखने जाने के लिए जब शकुंतला के परिवार वाले पहली
बार गए तो कमल खुद अपनी गाडी में परिवार के लोगों को लेकर गया। शकुंतला की शादी होंने
तक जितनी बार भी उसका परिवार के रवि के घर गया हर बार कमल ही उन्हें अपनी गाडी से
लेकर दिल्ली गया। जैसे तैसे शादी हो गई। लेकिन ससुराल जाने से पहले ही कमल ने शकुंतला
से वायदा ले लिया कि वह ससुराल जा तो रही है लेकिन वह किसी भी कीमत पर अपना तन
अपने पति को ना सौंपे। शकुंतला तो खुद ये शादी मजबूरी में कर रही थी। इसलिए उसने
भी कमल से वायदा कर लिया कि ठीक है ऐसा ही होगा लेकिन तुमको मुझे अपनी बनाना है तो
जल्द ही कुछ करना होगा।
शादी के बाद उसने इसी
साजिश के तहत बहाने बनाकर रवि को अपना शरीर छूने तक नहीं दिया।
इस दौरान कमल के दिमाग में रवि को रास्ते से हटाने की साजिश तैयार हो चुकी थी।
साजिश के मुताबिक 20 मार्च 2011 को रवि अपनी ससुराल टपूकडा, अलवर पहुंचा तो कमल भी
दोस्त की तरह उससे मिला और दोस्त की तरह घुमाया फिराया। अगले दिन सुबह ही रवि
शकुंतला को लेकर दिल्ली में अपने घर समालखा चला गया। इस दौरान कमल ने शकुंतला को
अपनी साजिश समझा दी। जिसके तहत 22 मार्च की दोपहर में शंकुतला अपनी सास से जिद
करके रवि को अपनी बहन के घर जाने के लिए साथ ले गई। कमलेश का घर करीब तीन किलोमीटर
दूर था। घर निकलकर जैसे ही रवि शकुंतला को लेकर किसी सवारी को बुलाने के लिए आगे
बढता वहां उससे पहले ही सामने अपनी सफेद सैंट्रो कार का बोनट खोलकर कमल ड्राइवर
गणेश के साथ खडा था। उसने रवि और शकुंतला को देखकर चौंकने का अभिनय करते हुए कहा कि
वह किसी काम से समालखा आया था लेकिन गाडी बंद हो गई बस ठीक हो गई है। कमल ने साजिश
के तहत जिद करके रवि और शंकुतला को गाडी में बैठा लिया और बोला कि वह उन्हें
कमलेश के घर छोडता हुआ निकल जाएगा। संकोचवश रवि कुछ नहीं बोला। दरअसल कमल सोची
समझी साजिश के तहत वहां बोनट खोलकर उन्हीं दोनों के आने का इंतजार कर रहा था।
इसके बाद कमल ने गाडी में
रवि को इस बात के लिए मना लिया कि वो शंकुतला को कमलेश के घर के पास छोड देता है
और वो थोडी देर के लिए समालखा में ही उसके साथ चले वहां से कुछ पैसा लेना है। रवि
इंकार नहीं कर सका। कमलेश के घर से कुछ दूर शंकुतला को छोडकर वे गाडी को आगे बढा
ले गए। गणेश गाडी चला रहा था। कमल व रवि पीछे बैठे थे।
इस बीच प्यास का बहाना
करके कमल ने डिक्की से कोल्ड ड्रिंक की दो बोतल निकलवाकर एक खुद पी दूसरी रवि को
पिलाई। लेकिन कोल्डड्रिंक पीते ही रवि का सिर चकराने लगा था और उस पर मूर्छा छा
गई। थोडी ही देर में रवि पूरी तरह बेहोश हो गया। कमल ने गाडी में बेहोश पडे रवि की
गला दबाकर हत्या कर दी। उसने कमल के मोबाइल फोन को बंद कर दिया और रास्ते में
उसकी बैट्री सिम कार्ड व दूसरे हिस्सों को तोडकर फेंक दिया। ड्राइवर गणेश कमल के
आदेश पर गाडी अलवर ले आया। वहां पहुंचकर कमल ने बिल्डिंग मैटीरियल के अपने गोदाम
में पडी रोडी हटाई और रवि के शव को पांच फुट गहरा गड्ढा खोदकर उसमें दबा दिया और
उस पर फिर से रोडी डाल दी। कमल वारदात वाले दिन अपना मोबाइल दिल्ली नहीं ले गया
था।
इधर रवि के घर नहीं पहुंचने पर शंकुतला ने उसके परिवार वालों को वहीं कहानी सुना दी जो कमल ने उसे पढाई थी। पुलिस को पूछताछ में न तो शकुंतला ने और न ही उसके किसी ससुराल वालों ने ये बात बताई थी कि शकुंतला के पास मोबइल फोन भी है। शकुंतला ने पुलिस को बताया कि शादी से पहले उसके पास एक फोन था लेकिन वो उसे जब दोबारा आयी तो अपने भाई को दे आयी थी। इसलिए शुरू से ही पुलिस ने इस केस में शकुंतला के मोबाइल फोन की भी सीडीआर निकालने की जरूरत महसूस नहीं की। मृतक रवि के मोबाइल की जो सीडीआर पुलिस ने निकलवाई उसमें भी किसी संदिग्ध आरोपी की कॉल डिटेल का हवाला नहीं मिला था। इसलिए भी पुलिस ने मोबाइल डिटेल की थ्योरी पर ज्यादा काम नहीं किया। लेकिन जब कमल से पूछताछ हुई तो खुलासा हुआ कि साजिश के तौर शकुंतला अपना मोबाइल फोन छिपाकर साथ लाई थी लेकिन उसे साइलेंट करके उसने पर्स में छिपाकर रक्खा था ताकि जरूरत पडने पर कमल से बात हो सके या सूचना का अदान प्रदान हो सके। 22 मार्च 2011 की दोपहर को शंकुतला कमल के ड्राइवर के मोबाइल से आए एक मैसेज के बाद ही घर से लेकर निकली थी जिसमें उसने बताया था कि वो सडक पर उनका इंतजार कर रहा है। शंकुतला जब तक अपनी ससुराल में रही उसने किसी को भी ये पता नहीं चलने दिया कि वो मोबाइल फोन का इस्तेमाल कर रही है। इस दौरान वो न सिर्फ छिप छिपकर कमल से बाते करती रही बल्कि उसे वहां होंने वाली हर गतिविधि की जानकारी देकर उससे लाश् ठिकाने लगा देने की जानकारी भी लेती रही।
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इंसपेक्टर अमलेशवर राय |
क्राइम ब्रांच ने जब जय
भगवान के शक के आधार पर कमल सिंगला को नोटिस देकर पूछताछ के लिए बुलाया ते उसे
पकडे जाने का डर सताने लगा। लिहाजा उसने पूछताछ के लिए जाने से पहले एक दिन औने
पौने दाम में खाली प्लाट में पडी रोडी को बेचकर ड्राइवर गणेश के साथ उसके नीचे
पडी जमीन की खुदाई की। वहां कई फुट की खुदाई के बाद उसे वह रवि का शव मिल गया जो
पांच महीने में हडिड्यों का ढांचा रह गया था। कमल ने हडिड्यों के ढांचे को गड्ढे
से निकालकर प्लास्टिक की बोरी में भरा । अस्थि पंजर को बटोरना बेहद मुश्किल था।
लेकिन उसने सावधानी से अस्थियों को निकालकर इसके बाद उसने हड्डियों से भरी बोरी को
अपने एक ट्रक में रखवाया और उसकी छत पर खुद बैठ गया। अलवर से रेवाड़ी के रास्ते
में 70 किलोमीटर के रास्ते पर एक एक हड्डी को बोरी से निकालकर जंगल की तरफ फेकता
चला गया। रवि की हड्डियों को ठिकाने लगाने के बाद कमल ने अपने ड्राइवर गणेश को 70
हजार रूपए दिए ओर उससे कहा कि अब वो अपने गांव चला जाए और कभी वापस न आए। क्योंकि
हो सकता है पुलिस उसे पकड लें। डरकर गणेश अपने गांव चला गया।
इस दौरान शकुतला भी अलवर में आ चुकी थी कुछ दिन तक तो कमल उससे छिप छिपकर ही मिलता रहा। लेकिन बाद में उसने उसके परिवार से हमदर्दी के दिखावा करके कहा कि उसका एक ड्राइवर है जो कुआरा है वह शकुंतला की शादी उसके साथ करवा देगा। कमल ने बेहद शातिराना ढंग से अपने ड्राइवर बबली के साथ शकुंतला की शादी का ढोंग रचा और उसके बाद टपूकडा में ही एक दूसरे इलाके में मकान लेकर दे दिया। लेकिन वहां बबली की जगह वो खुद शकुंतला के साथ पति की तरह रहता था। पूछताछ में ये भी खुलासा हुआ कि कमल और शकुंतला का एक बच्चा भी हो चुका है। हांलाकि समाज के सामने कमल शकुंतला को बबली की ही बीवी बताता था। लेकिन कमल का ब्रेन मैंपिंग टेस्ट हुआ और उससे शकुंतला के साथ उसके संबधों को लेकर सवाल जवाब हुए तो पुलिस को पहली बार उनके नाजायज संबधों पर शक हुआ था। इसी टेस्ट की रिपोर्ट के बाद से वह पुलिस की नजर में चढ गया था।
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पुलिस की गिरफ्त में |
ब्रेन मैपिंग टेस्ट के
बाद से ही शकुंतला और कमल पकड़े जाने के डर से फरार हो गए जिससे पुलिस का शक यकीन
में बदल गया। वे किसी भी स्थान पर कुछ दिन से ज्यादा नहीं रूकते थे। महीनों से
कमल व शकुंतला लगातार अपने फोन नंबर बदल रहे थे।
क्राइम ब्रांच ने कडी मशक्कत के बाद कमल के खाली प्लाट की खुदाई करवाकर उसकी रीढ़, कूल्हे और कमर के हिस्से की हड्डियां और पसलियों के 25 टुकड़े
बरामद कर लिए। जिनका टेस्ट कराया गया तो वे उसके पिता के डीएनए से मैच कर गइ्र। क्राइम
ब्रांच ने इस मामलें में अपहरण के साथ हत्या की धारा 302 व 120 बी जोड दी। इधर
शंकुतला ने अपनी गिरफ्तारी पर कोर्ट से स्टे ले लिया।
(कथा पुलिस की जांच, रवि के परजिनों से बातचीत
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